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गाडरवारा: रेत के अवैध खनन में खूनी संघर्ष, भाजपा मंडल अध्यक्ष समेत 8 घायल

 नरसिंहपुर। रेत का अवैध खनन जिले में लगातार खूनी संघर्षों को अंजाम दे रहा है। बावजूद इसके जिला प्रशासन इसे रोकने के बजाय चुप्पी साधे बैठा है। वहीं सत्ताधारी दल भाजपा के लोगों की इसमें संलिप्तता भी अब सरेआम होने लगी है। ऐसा ही एक घटनाक्रम बुधवार सुबह गाडरवारा के शक्कर नदी पुल पर देखने को मिला। यहां पर दो पक्षों में कथित ट्रॉली को लेकर हुए विवाद में 8 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों में भाजपा चौगान मंडल अध्यक्ष अशोक भार्गव व उनके परिवार के अन्य लोग शामिल हैं। भार्गव पक्ष से अशोक भार्गव, टीकाराम भार्गव व वंशी लोधी को जबलपुर रेफर किया गया है।
जानकारी के अनुसार बुधवार की सुबह करीब 11 बजे शक्कर नदी पुल पर भाजपा मंडल अध्यक्ष चौगान अशोक भार्गव के साथ उनके भाई टीकाराम भार्गव, अमन भार्गव, वंशी लोधी का दूसरे पक्ष के सुनील पटेल, अनूप कुमार गुर्जर, हेमराज सिंह गुर्जर, अनिल यादव, नीलेश सेन के साथ विवाद हो गया। इसने इतना तूल पकड़ा कि दोनों पक्षों के बीच जमकर लाठियां-तलवारें चलने लगीं। देखते ही देखते दोनों पक्षों के लोग लहूलुहान हो गए। इस वारदात की सूचना करीब 1 घंटे बाद पलोहा थाना पुलिस को लगी। जिसके बाद थाना प्रभारी सरोज ठाकुर, प्रभारी एसडीओपी आकाश अमलकर दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे। घायलों को दोपहर करीब 1 बजे गाडरवारा के सिविल अस्पताल ले जाया गया, यहां प्राथमिक इलाज के बाद उन्हें जिला अस्पताल रेफर किया गया।

नरसिंहपुर में दोपहर 3 बजे के आसपास एक ही पक्ष के तीन घायलों अशोक भार्गव, टीकाराम भार्गव, वंशी लोधी को डॉक्टरों ने जबलपुर के लिए रेफर कर दिया। वहीं दूसरे पक्ष के अनूप कुमार गुर्जर को सिर में 12 टांके आए, सुनील पटेल, हेमराज गुर्जर, अनिल यादव को भी सिर, हाथ पैर में गंभीर चोटें आईं। पुलिस को दिए बयान में भार्गव पक्ष के घायलों का कहना था कि उन्होंने अपनी ट्रैक्टर ट्राली गुर्जरों को किराए पर दी थी, जिसका वे किराया नहीं दे रहे थे। इसी को लेने जब वे शक्कर नदी पुल पर उनके बुलावे पर पहुंचे तो आरोपितों ने हमला कर दिया। जबकि दूसरे पक्ष का आरोप था कि हमले की शुरुआत अशोक भार्गव की ओर से हुई थी। थाना प्रभारी सरोज ठाकुर ने बताया कि झगड़े की वजह ट्रैक्टर-ट्राली का विवाद और फोन पर हुई गाली-गलौंच बताया जा रहा है। दोनों पक्षों के लोगों पर धारा 307 सहित अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर जांच की जा रही है।
रेफर को लेकर उठाए सवाल

शक्कर नदी पुल पर हुए झगड़े में दोनों पक्षों के लोगों के सिर, हाथ-पैर में गंभीर चोटें आईं हैं। बावजूद इसके एक पक्ष के तीन लोगों को जिला अस्पताल से जबलपुर रेफर किए जाने का मामला तूल पकड़ गया। घायल सुनील पटेल का कहना था कि उनके भाई अनूप कुमार गुर्जर को सिर में 12 टांके लगे हैं, लेकिन डॉक्टर ने उसे रेफर नहीं किया। जबकि भाजपा चौगान मंडल अध्यक्ष अशोक भार्गव समेत टीकाराम भार्गव व वंशी लोधी को मामूली चोट लगी होने पर भी रेफर किया गया है। सुनील ने आरोप लगाया कि पुलिस सत्ताधारी दल के नेताओं के दवाब में कार्रवाई कर रही है। उनका कहना था कि यदि उनके भाई की जान चली जाती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा।
नहीं हुई कोई गिरफ्तारी, आरोपित फरार

पलोहा थाना प्रभारी सरोज ठाकुर समेत तेंदूखेड़ा के प्रभारी एसडीओपी आकाश अमलकर जिला अस्पताल में मौजूद रहे। यहीं पर घायलों के बयानों के आधार पर दोनों पक्षों के लोगों पर हत्या के प्रयास और बलवे का मामला दर्ज तो कर लिया गया लेकिन गिरफ्तारी किसी की भी नहीं की गई। वहीं धाराएं लगने की जानकारी लगते ही दोनों पक्षों के वे लोग जिन्हें मामूली चोटें आईं थी, वे तत्काल अस्पताल परिसर से दुबक लिए।
अवैध खनन को लेकर विवाद:

शक्कर नदी पुल के पास हुए विवाद में भले ही दोनों पक्ष कथित ट्रॉली को वजह बता रहे हों, लेकिन गाडरवारा के लोगों का कहना रहा कि दोनों पक्षों के बीच लंबे समय से रेत के अवैध खनन को लेकर ठनी हुई थी। दोनों ही पक्ष आए दिन एक-दूसरे की ट्रैक्टर-ट्रॉली पुलिस के माध्यम से जब्त कराते रहे हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार बुधवार का झगड़ा भी अवैध रेत खनन को लेकर था। दरअसल, धनलक्ष्मी कंपनी को अलॉट हुई खदान के बाजू में रेत के खनन को लेकर दोनों पक्षों में टकराव हो गया था, जिसके कारण सिर फुटव्वल की नौबत आ गई। चूंकि दोनों ही पक्ष रेत के कारोबार में शामिल हैं, इसलिए इन्होंने मूल वजह को दबा दिया ताकि भविष्य में उनके हित प्रभावित न हों। गौरतलब है कि अवैध खनन की रेत की एक ट्रैक्टर ट्रॉली को दो दिन पूर्व ही करेली थाने में जब्त किया गया था। ये ट्रॉली गुर्जरों की बताई गई थी। गुर्जरों को आशंका थी कि उनकी ट्रॉली को भार्गव बंधुओं ने पकड़वाया था।
धनलक्ष्मी के स्पष्टीकरण ने बढ़ाया संदेह:

गाडरवारा की शक्कर नदी पुल पर हुए फसाद में दोनों पक्षों ने भले ही किसी का नाम न लिया हो लेकिन शाम को अचानक रेत खनन के लिए अधिकृत कंपनी धनलक्ष्मी मर्चेंटाइज्ड द्वारा जारी स्पष्टीकरण संदेहास्पद हो गया। कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि अवैध खनन को लेकर कतिपय लोग सोशल मीडिया पर धनलक्ष्मी का नाम ले रहे हैं जो कि गलत है। यह धनलक्ष्मी कंपनी को बदनाम करने की साजिश है। कुछ राजनैतिक और रेत के काम करने वाले लोग इस प्रकार की अफवाह फैला रहे हैं।