करेली: आधा दर्जन किताबें लिखीं, कई को कराई पीएचडी, अब संभालेंगे रीवा विवि के कुलपति की कुर्सी

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संयुक्त परिवार में अपनी बुजुर्ग मां के दायीं ओर प्रसन्न्चित डॉ. राजकुमार आचार्य।

नरसिंहपुर/करेली। शहर के सपूत व महात्मा गांधी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य 59 वर्षीय डॉ. राजकुमार आचार्य को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अवधेश प्रताप विश्वविद्यालय रीवा का नया कुलपति मनोनीत किया है। यह सूचना मिलते ही जिलेभर में उत्साह का माहौल बन गया। लोग डॉ. आचार्य के घर पहुंचकर उन्हें बधाई देते रहे। विदित हो कि डॉ. आचार्य इस नियुक्ति के पूर्व लेखन के क्षेत्र में प्रदेश का एक जाना-माना नाम है। इन्होंने वाणिज्य संकाय की अब तक आधा दर्जन किताबें लिखी हैं। वे वर्ष 2018 में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर में वाणिज्य संकाय के डीन पद पर भी नियुक्त हो चुके हैं।
बतौर प्राध्यापक डॉ. आचार्य की शैक्षणिक उपलब्धि की बात करें तो उनके निर्देशन में अब तक दर्जनों विद्यार्थी पीएचडी की उपाधि अर्जित कर चुके हैं। यूजीसी के तीन लघुशोध प्रबंध में उनकी सहभागिता रही है। अब तक वे 60 से अधिक राष्ट्रीय सेमिनारों में अपने शोध पत्र पेश कर चुके हैं, जहां उन्हें विशिष्ट महत्व मिला है। रादुविवि की कार्यपरिषद में ये सदस्य भी रहे। केंद्रीय अध्ययन मंडल के अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवाएं दी। सेवा गतिविधि के अंतर्गत डॉ. आचार्य राष्ट्रीय सेवा योजना में जिला कार्यक्रम अधिकारी व बाद के वर्षों में जिला संगठक के रूप में कार्यरत रहे हैं। रचनात्मक गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले डॉ. आचार्य को राज्य स्तर पर रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2013-14 के लिए सर्वश्रेष्ठ जिला संगठक का पुरस्कार दिया गया था। 22 जून 1961 को जन्मे डॉ. राजकुमार ने एम कॉम, एलएलबी व पीएचडी की उपाधि अर्जित की है। वे प्रतिष्ठित सराफा व्यवसायी स्व. शंकरलालजी आचार्य की पांच संतानों में दूसरे नंबर के सुपुत्र थे। ये अपनी माताश्री रामवती बाई आचार्य के साथ संयुक्त परिवार में निवासरत हैं। इनकी पत्नी सीमा आचार्य गृहिणी हैं, जबकि दो पुत्रों वासु आचार्य अमेजॉन पुणे में चीफ एनालिस्ट व यश आचार्य हाइवे मैप डिजाइनजर में सिविल इंजीनियर के रूप में कार्यरत हैं।
बचपन से आरएसएस के प्रति झुकाव

अवधेश प्रताप विश्वविद्यालय रीवा के नए कुलपति के रूप में नियुक्त किए गए डॉ. राजकुमार आचार्य की सामाजिक पृष्ठभूमि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी हुई है। आरएसएस के विचारों से प्रभावित होकर ये बचपन से ही इसकी शाखाओं में नियमित रूप से जाते रहे हैं। आएसएस के बौद्धिक कार्यक्रमों में इनका चिंतन, विचार, उद्बोधन प्रभावशाली व प्रेरक रहा है। वर्तमान में ये जिले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ सदस्य व अनुसांगिक संगठन प्रज्ञा प्रवाह के प्रांत संयोजक हैं।

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