रविवार शाम ब्रह्मलीन हुए शंकराचार्यजी के अंतिम दर्शन के लिए देश-प्रदेश के श्रद्धालुओं का गोटेगांव के परमहंसी गंगा आश्रम में पहुंचना जारी रहा। ये क्रम सोमवार दोपहर तक जारी रहा। इस दौरान भजन-कीर्तन जारी रहे। सुबह के वक्त प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ, सुरेश पचौरी, हर्षवर्धन सिंह महाराजश्री के अंतिम दर्शन करने पहुंचे। इसके बाद दोपहर करीब दो बजे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शंकराचार्यजी के पार्थिव शरीर को श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस दौरान छत्तीसगढ़ सरकार के प्रतिनिधि के रूप में मंत्री रविंद्र चौबे भी मौजूद रहे। शाम को केंद्रीयमंत्रीद्वय प्रहलाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते और मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिगि्वजय सिंह पहुंचे, जो कि समाधि कार्यक्रम होने तक रुके रहे।
आश्रम से प्राप्त जानकारी के अनुसार दोपहर 2 बजकर 10 मिनट पर शंकराचार्यजी के पारि्थव शरीर के समक्ष निज सचिव रहे सुबुद्धानंद महाराज ने दोनों पीठों के उत्तराधिकारियों को शंकराचार्य बनाने की अधिकृत घोषणा की। उन्होंने स्वामी अविमुक्तेश्र्वरानंद को ज्योतिर्मठ बद्रिकाश्रम और स्वामी सदानंद सरस्वती को शारदा द्वारका का नया शंकराचार्य घोषित किया। बता दें कि दोनों पीठों के अगले शंकराचार्यो के नामों का स्वरूपानंद सरस्वती महाराज अपने जीवनकाल में ही निर्धारण कर चुके थे। इनके नामों को लिपिबद्ध किया गया था। इस आदेश को संतों की मौजूदगी में पढ़ा गया।
नए शंकराचार्यो के नामों की घोषणा के बाद मंच पर चंदन के सिंहासन पर विराजे महाराजश्री के पार्थिव शरीर को स्नान कराया गया। फिर षोडोपचार विधि से भगवान विष्णु की भांति विशेष श्रृंगार किया गया। दोपहर करीब 3.30 बजे गंगा कुंड होते हुए पारि्थव शरीर को पालकी में बैठाकर माता राजराजेश्र्वरी ति्रपुर सुंदरी के दर्शन कराने ले जाया गया। मंदिर के बाहर से ही ये दर्शन की प्रकि्रया पूरी हुई। इसके बाद पालकी समाधि स्थल पहुंची। यहां राजकीय सम्मान के रूप में पारि्थव शरीर को राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा में लपेटा गया। पुलिस बल ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। शाम 4 बजे शंकराचार्यजी के पारि्थव शरीर को समाधि देने की प्रकि्रया झोतेश्र्वर के शास्त्री रविशंकर के नेतृत्व में शुरू हुई। इस दौरान काशी विद्वत परिषद के पांच पुरोहित, जूना अखाड़ा संत समिति के अध्यक्ष मुक्तानंद महाराज, श्रृंगेरी पीठाधीश्र्वर के निज सचिव वी. गौरीशंकर, द्वारका पीठ के संत केशवानंद जी मौजूद रहे। यहां पुरी के शंकराचार्यजी का संदेश वाचन किया गया। साधु-संतों ने शैव परंपरानुसार मंत्रोच्चारण के साथ पारि्थव शरीर को पद्मासन की मुद्रा मंे बैठाया। देश के सभी तीर्थस्थलों की नदियों से लाया गया जल व दुग्ध अरि्पत किया गया।
ये बोले अविमुक्तेश्र्वरानंद जी
हम लोग तो गुरूजी के सेवक हैं और उनकी सेवा में सुख मानते रहे। अब हम लोगों को कल से अंधेरा ही अंधेरा दिखाई दे रहा था कि हम क्या करेंगे। ब्रह्मचारी सुबुद्धानंद जी ने बताया कि गुरूजी हमको यह कहकर गए हैं कि इनको यह कार्य-उनको यह कार्य संभालना हैं तो गुरूजी का जो आदेश है वही हमारे जीवन का संबल है। उसी को ठीक से निभा लें तो हमारा जीवन सफल मानें। यह बात ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य दंडी स्वामी अविमुक्तेश्र्वरानंद सरस्वती ने सोमवार मीडियाकरि्मयों से चचर करते हुए कही। ज्योतिषपीठ की जिम्मेदारी मिलना बड़ी जिम्मेदारी है, इस सवाल पर दंडी स्वामी से ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य घोषित स्वामी अविमुक्तेश्र्वरानंद ने कहा कि हमको इस बात का बोध है कि यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इसे ठीक से निभाना है। जिसने यह जिम्मेदारी दी है वही हमें शकि्त भी देंगे।
इनकी भी रही मौजूदगी
इस दौरान विशेष रूप से राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा, महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू, मैथिली तिवारी, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, शेखर चौधरी, सुरेश पचौरी, विधायक अजय विश्नोई, विधायक लखन घनघोरिया मौजूद रहे। समाधि स्थल राजकीय सम्मान के साथ तिरंगे में पारि्थव देह को लपेटा गया इसके पश्चात गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।