अधिकारी-पुलिस करती रही मिन्नतें, तब कहीं नरसिंहपुर के परमजीत ने की कृपा
गुरूवार देर शाम पहुंचे सरकारी कोरन्टाइन में
नरसिंहपुर। देश के सबसे खतरनाक कोरोना हॉटस्पॉट पूना से लौटे नरसिंहपुर के रसूखदार परमजीत खनूजा का रुतबा नियम-कायदों और कानून से कितना ऊपर है कि गुरुवार को सुबह से शाम तक जिला प्रशासन के अधिकारी-पुलिस उनसे मिन्नतें करते रहे। करीब छह-सात घंटे की हाथ जुड़ाई के बाद आखिरकार परमजीत ने तरस खाकर कृपा बरसाई और अधिकारियों के साथ देर शाम सरकारी कोरन्टाइन होने के लिए हामी भर दी। परमजीत के मामले में एक बात समझ में आई कि रसूखदारों के आगे कोरोना की जंग के योद्धा किस कदर लाचार हैं।
गुरुवार 23 अप्रैल को परमजीत खनूजा का मामला उजागर हुआ था। जिसमे पता चला कि जिला मुख्यालय के परमजीत खनूजा 20 अप्रैल को पूना से अपनी बेटी-बेटा के साथ लौटे हैं। जिनकी मेडिकल जांच के बाद चिकित्सकों ने इन्हें सरकारी कोरंटाइन में रहने का आदेश दिया था, लेकिन ये नहीं माने। बावजूद इसके इन्होंने अपने रसूख के दम पर ये अपने आलीशान गार्डन में रहने चले गए। इस खबर के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में परमजीत खनूजा को सरकारी कोरंटाइन सेंटर लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ कुछ पुलिसकर्मी उनके रोसरा स्थित गार्डन भेजे गए, लेकिन गुस्ताखी की हद देखिए कि, सहयोग करने के बजाय उल्टे परमजीत ने इस टीम को ही अपने घर से भगा दिया।
पुलिसकर्मियों को नरसिंहपुर के रसूखदार परमजीत ने घर से भगाया
दोपहर को पहुंचा पुलिस का लाव-लश्कर
घर का भोजन मिलने पर हुए राजी
परमजीत खनूजा और उनके दोनों बच्चों को स्वामी विवेकानंद शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में बनाए गए कोरंटाइन सेंटर में पहुंचाया गया है। सूत्रों के मुताबिक, परमजीत ने अधिकारियों से घर का भोजन उपलब्ध कराने की मांग रखी थी, जिसे संभवत: स्वीकार कर लिया गया है।
गुरुवार को जिला कलेक्टर एवं दंडाधिकारी दीपक सक्सेना ने दिशा निद्रेश जारी करते हुए कहा कि ई पास लेकर जिले में आ रहे लोगों को कोरंटाइन सेंटर जाना अनिवार्य होगा। जारी दिशा निर्देश में कहा गया है ई पास लेकर आने वाले व्यक्तियों को सर्वप्रथम चेकपोस्ट के नजदीकी कोरंटाइन सेंटर ले जाया जाए। ये सेंटर कोई हास्टर, स्कूल, मैरिज हॉल या अन्य स्थल हो सकता है। यहां एसडीएम को एक मेडिकल टीम नियुक्त करनी होगी, जो इन व्यक्तियों की स्क्रीनिंग व अन्य जांचें करेगी। कोरोना संक्रमण की आशंका न होने पर ही ये व्यक्ति जिले में प्रवेश कर पाएंगे। निर्देशों में कहा गया है कि ऐसे व्यक्तियों के मोबाइल में सार्थक एप डाउनलोड करना अनिवार्य होगा। गलत जानकारी के आधार पर ई पास प्राप्त करने वालों की अनुज्ञा निरस्त की जाएगी। मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में एसडीएम ऐसे व्यक्तियों को छूट दे सकते हैं।