वैज्ञानिकों ने घावों के लिए हर्बल दवा वाली स्मार्ट बैंडेज विकसित की
भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अधीनस्वायत्त संस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईएएसएसटी) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी स्मार्ट बैंडेज विकसित की है, जो घाव तक दवा की सही डोज पहुंचाकर उसे ठीक कर सकती है। यह स्मार्ट बैंडेज घाव में संक्रमण की स्थिति के अनुरुप उसके पीएच स्तर को देखते हुए दवा की डोज जारी करती है। बैंडेज को नैनोटेक्नोलॉजी आधारित सूती पैच से बनाया गया है, जिसमें कपास और जूट जैसी टिकाऊ और सस्ती सामग्रियों का इस्तेमाल किया गया है।
आईएएसएसटी के एसोसिएट प्रोफेसर डाक्टर देवाशीष चौधरी द्वारा किए गए एक शोध में, जूट के कार्बन डॉट्स के साथ एक नैनोकॉम्पोजिट हाइड्रोजेल बाध्य कॉम्पैक्ट कपास पैच बनाया गया। कार्बन डाट्स, बैंडेज मे लगाई गई दवा को रिलीज करने के लिए बनाए गए हैं। जूट का उपयोग पहली बार फ्लोरोसेंट कार्बन डॉट्स को संश्लेषित करने के माध्यम के रूप में किया गया है, जबकि पानी का उपयोग फैलाव माध्यम के रूप में किया गया है। बैंडेज में इस्तेमाल हर्बल दवा में मूल रूप से अजादिराचिता इंडिका अर्थात नीम के सत का उपयोग किया गया है।
जूट और सूती कपड़े से बनायी गई यह बैंडेज घाव में बैक्टीरिया का संक्रमण किस स्तर का है, इसे देखते हुए काम करती है। संक्रमण जिस स्तर का है, दवा भी बैंडेज से उसी के अनुरूप खुद ब खुद निकलती है। यदि घाव में बैक्टीरिया का स्तर बढ़ रहा हो तो बैंडेज से दवा का रिसाव कम पीएच स्तर पर होता है। संक्रमण के अनुकूल दवा के रिसाव की इसकी यह विशेषता इस बैंडेज के अनूठे व्यवहार को दर्शाती है।
घाव भरने के लिए बैंडेज का इस तरह का अनुकूल व्यवहार स्मार्ट घाव-ड्रेसिंग सामग्री के रूप में इसके इस्तेमाल का मार्ग प्रशस्त करता है। बैंडेज बनाने के लिए कपास और जूट जैसी सस्ती और टिकाऊ सामग्री का इस्तेमाल इसे जैविक रुप से दुष्प्रभाव रहित , विषाक्तता रहित, कम खर्चीला और टिकाऊ बनाता है।