नरसिंहपुर।
जिले की जीवनरेखा कही जाने वाली नर्मदा नदी के तट-घाट कहने भर को खनन के लिए प्रतिबंधित हैं। जबकि हकीकत ये है कि इन्हें अघोषित रूप से माफिया के सुपुर्द कर दिए गए हैं। रातीकरार गांव के पास शगुन व कुड़ी और बरमान में धरमपुरी के घाट इसके जीते-जागते प्रमाण हैं। यहां तटों के साथ-साथ नर्मदा नदी की बीच धार में जाकर रेत खोदी जा रही है। खनिज समेत जिला प्रशासन के अफसर सब कुछ जानते हुए भी सिर्फ जांच करने का रट्टा लगाए हुए हैं।
बीते 14 अक्टूबर को शगुन व कुड़ी घाट में रेत के विशाल 9 भंडारों की पुष्टि के बावजूद जिला खनिज विभाग ने माफिया के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। माफिया ने रातोंरात रेत के भंडार उठा लिए तब भी अधिकारी चुप्पी साधे रहे। जिला प्रशासन के अफसरों की चुप्पी का असर अब ये है कि माफिया सिर्फ तटों पर ही नहीं, बल्कि उन नदी के भीतर जाकर रेत को उलीच रहा है। 14 अक्टूबर के पहले तक अवैध खनन रात के अंधेरे में ही होता था, लेकिन अब यह काम दिन के उजाले में भी बदस्तूर है। बुधवार-गुरुवार को जागरूक लोगों ने अवैध रूप से नर्मदा नदी में किए जा रहे रेत खनन की तस्वीरों को मोबाइल में कैद कर इन्हें कलेक्टर समेत जिला खनिज अधिकारी तक को मुहैया कराया, लेकिन किसी भी अफसर ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। इससे अब ये बात साफ हो गई है कि इस अवैध खनन में अधिकारियों की मूक सहमति है।
अब नावों से भी ढुल रही रेत
नर्मदा नदी के प्रतिबंधित शगुन व कुड़ी घाटों पर मौजूद रेत का ही अवैध रूप उठाव हो रहा हो, ऐसा बिल्कुल नहीं है। माफिया के लोग अब नदी की बीच धार में नावों को पहुंचाकर गहराई से रेत को अवैध रूप से निकाल रहे हैं। इसके चलते नदी की धार प्रभावित हो रही है। इस तरह के अवैध खनन का दूसरा पहलू ये है कि माफिया गरीब नाविकों की जिंदगी से भी खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहे हैं। दो-ढाई सौ रुपये प्रति खेप के हिसाब से इन नाविकों को रेत निकालने का जिम्मा सौंपा गया है। शगुन घाट पर एक नाविक ने बताया कि एक बार की खेप में करीब एक ट्रॉली रेत यानी 2 क्यूबिक रेत को भरकर लाया जा सकता है। उसके अनुसार एक घाट पर नदी के बीचोबीच जाकर रेत भरने वाली नाव दिनभर में 10 से 12 खेप लगा लेती है। प्रत्येक घाट पर अमूमन तीन से चार नावों को इस काम के लिए लगाया गया है।
रोज निकाल रहे करीब पांच लाख की रेत
नर्मदा के शगुन व कुड़ी घाट में माफिया रोजाना करीब 5 लाख रुपये की रेत चोरी कर रहा है। रोजाना करीब 50 ट्रैक्टर-ट्रॉलियां दो से तीन खेप लगाकर रेत का अवैध परिवहन कर रहीं हैं। एक ट्रॉली रेत की कीमत 4000 से 4500 रुपये के आसपास है। बिना रायल्टी दिए बेची जा रही इस रेत से जहां शासन के राजस्व की खुलेआम चोरी हो रही है, वहीं नदी के घाट-तट खतरनाक स्थिति में पहुंच रहे हैं।
धरमपुरी में भी जारी अवैध खनन: शगुन व कुड़ी घाट की तरह ही बरमान कला ग्राम पंचायत के अंतर्गत धरमपुरी और रामघाट में भी माफिया चौबीसों घंटे रेत का अवैध खनन, परिवहन व भंडारण में जुटा है। यहां दिन-रात दर्जनों डंपर-हाइवा और ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में रेत का परिवहन जिले के भीतर व अन्य जिलों के लिए किया जा रहा है। इसकी भी लगातार शिकायतों के बावजूद जिला प्रशासन के पास कार्रवाई करने फुर्सत नहीं है।
जांच का रट्टा बरकरार
शगुन व कुड़ी घाट में जारी अवैध खनन व चोरी गए रेत के बड़े भंडारों के मामले में जिला खनिज अधिकारी रमेश पटेल का लगातार आठवें दिन एक ही जवाब रहा कि जांच जारी है। पटवारी-आरआइ को सीमांकन के लिए अधिकृत किया गया है। गंगई, गाडरवारा, धरमपुरी के मामले में उनका कहना था कि जांच की जाएगी। किस सर्किल के पटवारी-आरआइ को सीमांकन का जिम्मा दिया गया है और जांच कब तक पूरी होगी, इस सवाल पर मौन मुद्रा में चले जाते हैं।