खुलासा: शगुन-कुड़ी घाट में अवैध खनन करने वाले माफिया को बचाने अफसर को था छुट्टी का इंतजार

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 नरसिंहपुर। नर्मदा की प्रतिबंधित शगुन व कुड़ी घाट में व्यापक पैमाने पर अवैध रूप से भंडारित की गई रेत को जब्त करने के बजाय जिला खनिज अधिकारी ने माफिया को मोहलत देकर तीन दिन तक रेत उठाने का मौका दिया। इसके बाद प्रशासनिक छुट्टी के दिन राजस्व विभाग को घाट की नापजोख के लिए पत्र लिखने की लोपापोती कर दी। हैरत की बात ये है कि जिन पटवारी व आरआइ को पत्र डाक से भेजा गया है, वे खनिज विभाग के दफ्तर से महज 20 मीटर दूरी पर बैठते हैं। छह दिन बीत चुक हैं लेकिन विभाग ने किसी तरह का मुकदमा थाने में दर्ज नहीं कराया है।
बारिश के दिनों में नदी से लगे जिन खेतों में रेत का भंडार हो जाता है, यदि किसान उसे उठा ले तो खनिज विभाग चोरी का प्रकरण दर्ज करने में किसी तरह की देर नहीं करता। वहीं बात जब माफियाओं की हो तो अधिकारी न सिर्फ नदियों में मशीन उतरवाकर अवैध खनन पर आंख मूंद लेते हैं, बल्कि उसके भंडारण को सुरक्षित करने का अवसर देने से भी नहीं चूकते। ऐसा ही मामला नर्मदा के शगुन व कुड़ी घाट में देखने को मिला था। खनन के लिए प्रतिबंधित इन घाटों पर रेत के 9 बड़े-बड़े अवैध भंडार मिलने के बावजूद खनिज अधिकारी ने इन्हें जब्त करने में रुचि नहीं दिखाई। 15 से 17 अक्टूबर तक वे कार्रवाई करने के झांसे में शिकायतकर्ताओं व मीडिया को रखे रहे। इसी बीच माफिया द्वारा रेत उठाने का भरपूर मौका दिया, जब रेत पूरी तरह से उठ गई तो खनिज अधिकारी शनिवार शाम राजस्व अमले को घाट की नापजोख कराने पत्र लिखने की बात कहने लगे। ध्यान रखने वाली बात ये है कि 17 अक्टूबर को माह का दूसरा शनिवार और 18 अक्टूबर को रविवार की छुट्टी थी। ऐसे में माफिया को विभाग द्वारा रेत चोरी करने का भरपूर अवसर प्रदान किया।

नपाई कराने के तर्क भी अजीब

प्रतिबंधित खदानों शगुन व कुड़ी घाट पर अवैध रेत खनन कर भंडारित की गई रेत के मामले में जिला खनिज अधिकारी राजस्व विभाग को जो पत्र लिखने की बात कह रहे हैं, उसके तर्क भी बड़े अजीब हैं। खनिज अधिकारी रमेश पटेल का कहना रहा कि हम इस बात की जांच कराएंगे कि रेत के भंडार किसी की निजी जमीन पर तो नहीं। घाट की नापजोख पटवारी व आरआरआइ ही कर सकते हैं। हालांकि उनके पास इस बात का कोई जवाब नहीं था कि जब शासकीय रिकॉर्ड में शगुन व कुड़ी घाट डूब वाले क्षेत्रों में शामिल हैं और यहां रेत का खनन प्रतिबंधित है तो नपाई किस बात की कराई जा रही है। न ही वे इस बात का उत्तर दे पा रहे हैं कि तट पर भंडारित मिली रेत निजी जमीन कैसे हो सकती है।
किसानों पर चोरी का मामला, माफिया को बचाया

अगस्त माह में जिला मुख्यालय के समीपी वारूरेवा नदी घाट पर अवैध रूप से भंडारित रेत का परिवहन करने पर जिला खनिज अधिकारी ने कोतवाली पुलिस को सूचित कर चार ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को जब्त कराया था। इनके चालकों समेत मालिकों के खिलाफ चोरी का मुकदमा कायम करने में देर नहीं की थी। रेत का भंडारण भी चंद घंटों में ही जब्त करा दिया गया। इसी तरह के और भी कई मामले गाडरवारा समेत अन्य तहसीलों के थानों में दर्ज हुए हैं। कुछ तो ऐसे भी रहे जो बारिश के दिनों में अपने खेतों में जमा रेत को ट्रॉलियों में भरकर कहीं अन्य जगह पटकने जा रहे थे, लेकिन अधिकारी ने उन पर चोरी का मामला दर्ज करा दिया। ऐसे मामलों में न तो किसी पटवारी, आरआइ से नदी घाट की नपाई-तुलाई कराई गई थी, न ही इस बात की पड़ताल की गई थी कि रेत का भंडार किसी की निजी जमीन पर तो नहीं था। तब खनिज अधिकारी का साफ कहना था कि प्रतिबंधित घाटों पर सूचना मिलने पर रेत जब्ती समेत आरोपितों पर तत्काल पुलिस को सूचित करने के जिला प्रशासन के आदेश हैं। जहां कहीं भी ऐसे अवैध खनन पाए जाएंगे, वहां हम पुलिस की मदद से तत्काल कार्रवाई करेंगे। वहीं शगुन व कुड़ी घाट पर अवैध खनन व भंडारण की बात करें तो खनिज अधिकारी माफिया के हित में तय नियम को झुठलाने पर तुले हैं। यहां उन्हें ग्रामीणों के मार्फत माफिया का नाम भी सुनने को मिल चुका है, लेकिन उसके खिलाफ चोरी का प्रकरण दर्ज कराने के बजाय अधिकारी उसे बचाने पर तुले हैं।

इनका ये है कहना
शगुन व कुड़ी घाट के मामले में फिलहाल किसी पर कार्रवाई नहीं हुई है। हम इस मामले की जांच करा रहे हैं। जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे। धरमपुरी, रामघाट, बड़ियाघाट, छत्तरपुर में यदि अवैध खनन हो रहा है तो उसकी जानकारी दीजिए, मैं कार्रवाई करूंगा।
वेदप्रकाश, कलेक्टर नरसिंहपुर।

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