नरसिंहपुर।
कोरोना वायरस की नरसिंहपुर जिले में एंट्री और मौत की झूठी खबर सोशल मीडिया के माध्यम से वायरल करने वाले एक युवक को पुलिस ने हिरासत में लेकर जेल भेज दिया है। विधि विशेषज्ञों के अनुसार संकट काल में आरोपी के खिलाफ जिन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, उसमें उसे तीन साल तक की सजा के साथ जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। आरोपी होशंगाबाद-नरसिंहपुर के सांसद राव उदय प्रताप सिंह के गांव लोलरी का रहने वाला है।
ये है मामला: सुआतला थाना क्षेत्र के अंतर्गत लोलरी गांव में रहने वाले शोभाराम चौधरी ने गुरूवार शाम करीब 5 बजे फेसबुक पर एक पोस्ट अपडेट की। इसमें लिखा था कि ‘नरसिंहपुर जिले में हुई कोरोना की एंट्री, दादा महाराज के पास मुड़िया गांव में 5 लोग पॉजिटिव पाए गए हैं। इसमें से एक की मौत हो गई है। यह अफवाह आग की तरह जिले में फ़ैल गई। हालांकि शिकायत होने पर तत्काल पुलिस अधीक्षक डॉ गुरूकरण ने एक्शन मोड में आकर आरोपी युवक को सुआतला पुलिस के माध्यम से गिरफ्तार करा दिया। आरोपी शोभाराम के खिलाफ धारा 188, 505 (1) बी भा.द.वि और 54 आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत मामला पंजीबद्ध कर उसे जेल भेज दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट फेक न्यूज़ पर सख्त कार्रवाई के दे चुका है आदेश
सामान्य दिनों में भी अफवाह फैलाना जघन्य अपराध है, फिर तो अभी संकटकाल चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में फेक न्यूज़ फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश जारी किया है। ऐसे में आरोपी शोभाराम के ऊपर जो धाराएं लगी हैं, उसमें उसे तीन साल तक की सजा हो सकती है। लोगों को इस तरह की अफवाह फैलाने से बचना चाहिए। ये कृत्य आपको जेल भिजवा सकता है।
एड. मनीष टुटेजा, जिला न्यायालय, नरसिंहपुर
अफवाह फैलाने की धाराओं के बारे में जान लें
- आईपीसी की धारा 188 के अंतर्गत सामान्य परिस्थिति में आरोपी को एक साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। जबकि संकटकाल में जब स्वास्थ्य, सुरक्षा या व्यवस्था में व्यवधान उत्पन्न करने की कोशिश प्रमाणित हो तो इसमें अधिकतम तीन साल की सजा सुनाई जा सकती है।
- आईपीसी की धारा 505 (1) के अंतर्गत ऐसी अफवाह जिससे आमजन में भय पैदा होता हो, सार्वजानिक शांति प्रभावित होती हो, इसमें आरोपी को तीन साल तक की सजा और जुर्माना का प्रावधान है।
- आपदा नियत्रण अधिनियम 2005 की धारा 54 के तहत एक वर्ष तक का कारावास या जुर्माना हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी 31 मार्च को यह बताया है कि आपदा प्रबंधन उन लोगों को दंडित करने के लिए अधिनियम की धारा 54 का उपयोग किया जा सकता है जो आपदा या इसकी गंभीरता या प्रभाव के रूप में गलत सूचना या चेतावनी देते हैं जिससे आमजन में घबराहट पैदा होती है।