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नरसिंहपुर। सपनों की नगरी मुंबई में उन्हीं कलाकारों को सफलता मिलती है, जिनकी किस्मत उनका साथ दे। बहुत से काबिल व योग्य लोग ऐसे भी हैं, जो गाते बेहतर हैं लेकिन आज भी उन्हें ब्रेक नहीं मिला है। मैं खुशकिस्मत हूं कि मुझे ज्यादा स्ट्रगल नहीं करना पड़ा। ये कहना है भजन व पंजाबी सांग इंडस्ट्रीज के जाने-माने गायक चरणजीत सिंह सोंधी का। रविवार को वे अपने गृहनगर बालाघाट जाने के पूर्व कुछ देर के लिए नरसिंहपुर में रुके थे।
गायक चरणजीत सिंह सोंधी ने बताया कि वर्ष 2000 में वे अपने दोस्त को छोड़ने के लिए मुंबई गए थे। यह उनके जीवन का टर्निंग पाइंट साबित हुआ। यहां उन्हें टी सीरिज के किशन कुमार ने ऑडिशन लेते ही भजन गायकी के लिए चुन लिया। उन्हें एक भजन गाने के लिए 1000 रुपये दिए गए थे। यह उनकी पहली कमाई भी थी। इसके बाद एकता कपूर के सीरियलों की बैकग्राउंड सिंगर प्रिया भट्टाचार्य से उनकी मुलाकात हुई। इनके माध्यम से उन्हें एकता कपूर के डेली सोप कहानी घर-घर की, कसौटी जिंदगी की जैसे अन्य सीरियलों में बैकग्राउंड सिंगिंग का अवसर मिला।
पुत्ता द दर्द ने दिलाई प्रसिद्धि
टी सीरीज और एचएमवी के लिए गणेशजी, नर्मदाष्टक जैसे एलबम करने वाले चरणजीत सिंह का कहना है कि उन्हें वास्तविक प्रसिद्धि पंजाबी इंडस्ट्रीज में मिली। बालाघाट के आईजी सुखराज सिंह द्वारा लिखित गीत पुत्ता द दर्द में उन्होंने अपनी आवाज दी। इसे यूट्यूब पर 10 मिलियन ब्यूज मिले। पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्रीज में ये गीत गायन उनके लिए मील का पत्थर साबित हुआ। इसके अलावा राधा-कृष्ण के गीत के साथ नर्मदाजी पर टी सीरीज का एलबम भी खूब पसंद किया गया है।
पुलिस की नौकरी छोड़ी: चरणजीत सिंह बताते हैं कि वे हॉकी के नेशनल प्लेयर रह चुके हैं। वर्ष 1996 में उन्हें स्पोर्ट्स कोटे से पुलिस विभाग में नौकरी भी मिली थी। हालांकि वे इस पक्ष को याद नहीं करना चाहते हैं। उनके अनुसार चूंकि उन्हें बचपन से किशोर कुमार के गीत गुनगुनाने का शौक था, इसी कारण अक्सर दोस्त कहीं सफर के दौरान उनसे गाना गाने कहते थे। यही उनकी प्रैक्टिस साबित हुई। इसी ने उन्हें आज ये मुकाम दिया है। ये मध्यप्रदेश के पहले पंजाबी गीतों के इंटरनेशनल गायक हैं। वर्तमान मंे
बालाघाट के हैं रहने वाले
चरणजीत सिंह सोंधी बालाघाट के हनुमान चौक के रहने वाले हैं। उनके पिता कुंदन सिंह लोधी कांट्रेक्टर हैं, मां अमरजीत सिंह कौर गृहिणी हैं। बड़े भाई दिल्ली में स्कूल टीचर हैं, जबकि छोटे भाई का काफी पहले निधन हो चुका है। चरणजीत सिंह की पत्नी भोपाल में पुलिस अधिकारी हैं।