तत्पश्चात् संस्था प्राचार्य ने विद्यार्थियों को डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षक एक मोमबत्ती की तरह होता है जो स्वयं जलकर दुसरों को प्रकाश देता है। कोई भी व्यक्ति बिना शिक्षक के बिना जीवन में सफल होने की सोच भी नहीं सकता। बच्चा जब जन्म लेता है तो उसकी पहली गुरू उसकी मां होती है। उसके बाद वह विद्यालय में प्रवेश लेता है और विद्यालय में गुरूओं के माध्यम से जीवन को जीने का सलीका सीखते हैं।
हुए साँस्कृतिक कार्यक्रम– इस अवसर पर संस्था में विद्यार्थियों द्वारा विभिन्न खेलों का आयोजन किया। जिसमें शिक्षकों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। शिक्षकों द्वारा भी छात्रों को प्रोत्साहित करने हेतु अपनी बात रखी।
शिक्षकों को किया गया सम्मानित- विद्यार्थियों द्वारा उपस्थित सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं को कार्यक्रम के दौरान पुरूस्कार देकर सम्मानित करते हुए अपने विद्यालय में अनुभवों का साझा किया।