नरसिंहपुर। मप्र शिक्षक संघ नरसिंहपुर के जिला सचिव सत्य प्रकाश त्यागी ने कहा है कि “कोरोना महामारी” से जारी जंग में नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में “लाॅक डाउन का पालन करवाना,सेनेटाइजेशन, हाथ धुलाई, फेस मास्क निर्माण एवं वितरण, जरूरत मंदों को भोजन व आश्रय, प्रवासी परिवारों की मदद, स्वास्थ्य परीक्षण व अस्पताल पहुँचाने” के लिए जो टीमें गठित की गई है, उनमें “स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास विभाग, स्थानीय स्वशासन” के कर्मचारियों/अधिकारियों के साथ शिक्षा विभाग के कर्मचारियों/अधिकारियों को भी शामिल किया गया है, इसके अलावा भी ड्यूटी लगाई जा रही है। लेकिन विभागीय आदेश के अभाव में शिक्षा विभाग के अमले को “मुख्यमंत्री कोविड-19 योध्दा कल्याण योजना” से वंचित कर रखा है, यह सौतेला व्यवहार हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि राज्य शिक्षा सेवा शिक्षकों को नियुक्ति के 20 साल बाद तक ना तो सामूहिक बीमा सुविधा दी गई है और ना ही निशुल्क मेडिकल बीमा की सुविधा है इसके अतिरिक्त ड्यूटी स्थलों पर कार्य करने के लिए ना पर्याप्त प्रशिक्षण और ना ही वैश्विक महामारी से बचाव के लिए सुरक्षा के सैनिटाइजर और पर्याप्त गुणवत्ता के मास्क ही दिए जा रहे हैं अवकाश काल में ड्यूटी लगाने के लिए उन्हें शासन की ओर से विशेष अर्जित अवकाश की पात्रता का आदेश भी देना चाहिए था।
दौहरे मापदंड से शिक्षकों में भारी नाराजगी व आक्रोश व्याप्त हैं जो समाप्त करना न्यायोचित होगा। प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग मप्र शासन भोपाल से मांग करता है कि कोरोना काल में डीएम, एसडीएम व अन्य सक्षम अधिकारियों के आदेश पालन में संलग्न शिक्षक कर्मचारियों/अधिकारियों को भी आपदा के समय किसी भी कार्य हेतु कर्तव्यारूढ़ करने पर “मुख्यमंत्री कोविड-19 योध्दा कल्याण योजना” में शामिल कर “पात्र कर्मचारी” घोषित कर संरक्षण प्रदान किया जावे। मप्र शासन राजस्व योजना विभाग के पत्र क्रमांक 517 दिनांक 17/04/2020 के संदर्भ में ग्रामीण विकास विभाग के समान “शिक्षा विभाग से भी आदेश अविलंब जारी किये जावे ताकि प्रदेश के शिक्षक कर्मचारियों/अधिकारियों को पर्याप्त संरक्षण मिल सके।