नरसिंहपुर। कोरोना संक्रमण महामारी उतनी भयाभय नहीं है जितनी कि लोगों ने भय में आकर अनावश्यक तौर से प्रचार प्रसार कर लोगों में भय का माहौल बना दिया। जिसका जीता जागता उदाहरण यह है कि 86 वर्षीय रिटायर्ड शिक्षक गयाप्रसाद जैन ने अपने ही घर पर अलग एक कमरे में होम क्वारंटीन रहकर मात्र 15 दिनों में कोरोना को मात दे दी। अब वे रोज की तरह सुबह-शाम टहलकर और रुचि के अनुसार साधारण भोजन ले रहे हैं।
श्री जैन के अनुसार कोरोना संक्रमण को लोगों ने काफी भययुक्त माहौल में लिया है। यदि धैय के साथ इस महामारी से जूझा जाए तो निश्चित तौर पर लोग स्वस्थ हो सकते हैं। उनके अनुसार अभी ये देखने मिला है कि संक्रमित होते ही व्यक्ति तत्काल आक्सीजन व रेमडेसिविर इंजेक्शन समेत निजी अस्पतालों के पीछे भागता है। जबकि हकीकत में वरिष्ठ डॉक्टरों की सलाह लेते हुए यदि घर पर ही समय पर दवाओं के साथ परहेज किया जाए तो इस बीमारी को कोई भी हरा सकता है। अपनी 86 वर्ष की उम्र का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि शारिरिक क्षमताएं भ्ाी अब उतनी अधिक नहीं रहीं, लेकिन मन में आत्मबल और जूझने की शक्ति प्रबल होने के कारण आज इस जंग से जीत मिली है। शिक्षक रहने के साथ-साथ साहित्यिक गतिविधियों में हमेशा से कवि के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले मिलनसार हसमुख स्वभ्ााव के धनी ग्याप्रसाद जैन ने एक बार फिर लोगों से अपील की है कि शारीरिक दूरी के नियम का पालन करने के साथ मुंह पर मास्क जरूर लगाएं। हम जितना अधिक संक्रमण को लेकर फासला बनाते हुए अपने घ्ारों पर सुरक्षा से रहेंगे, उतना अधिक लाभ्ा सभ्ाी को मिलेगा, इससे संक्रमण की चैन टूटने के कारण वह आगे नहीं बढ़ सकेगा। उन्होंने कहा कि सिलिंडरयुक्त आक्सीजन की बजाय पर्यावरण सुरक्षा वाली खुली आवोहवा में घूमना, सादा शाकाहारी भोजन करने से लोगों में प्रतिरोधक क्षमता अधिक बढ़ती है।