नरसिंहपुर: खामघाट मामले में डेढ़ माह पहले मजिस्ट्रेट का था आदेश-दर्ज करो एफआईआर, थाना प्रभारी कर रहे सबूत का इंतजार

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नरसिंहपुर। खामघाट की वह 25 एकड़ सरकारी जमीन, जिसे गलत तरीके से बेचा गया। यहां पर खेतीबाड़ी हो रही है।
नरसिंहपुर। खामघाट के चर्चित जमीन घोटाले में कलेक्टर न्यायालय ने करीब डेढ़ माह पहले आदेश दिए थे कि जांच में दोषी मिले पटवारियों पर एफआईआर दर्ज की जाए। 7 दिन के भीतर आदेश जारी करने वाले अधिकारी को सूचित किया जाए। बावजूद इसके करेली थाने में प्रकरण को जांच के नाम पर लटकाकर रखा गया है। प्रकरण में जांच अधिकारी धाराएं लगाने के लिए सबूत का इंतजार कर रहे हैं।
प्रकरण ये है कि लिंगा, खामघाट, बड़ियाघाट, हेमरा, ढुरसुरू आदि गांवों की लगभग 600 एकड़ शासकीय भूमि का गलत तरीके से नामांतरण किया गया था। इस बात की भनक लगने पर पुखराज पिता लक्ष्मण मेहरा उमरपानी व मुन्न्ा बाबू पिता मुद्दीन खान लिंगा निवासी ने कलेक्टर के समक्ष 2020 में शिकायत की थी। इसमें मौजा लिंगा तहसील गाडरवारा के तत्कालीन पटवारी अशोक राय व फूल सिंह मेहरा पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। प्रकरण की जांच के आदेश जारी होने पर शिकायत सही पाई गई थी। जिसके बाद कलेक्टर न्यायालय में सुनवाई के बाद दोनों पटवारियों को गलत तरीके से शासकीय मद की जमीनों के नामांतरण का दोषी पाया गया। कलेक्टर न्यायालय ने दोषियों के खिलाफ थाने में एफआईआर कायम करने के लिए सिहोरा गाडरवारा वृत्त के नायब तहसीलदार कार्यालय को आदेशित किया था। जिसके बाद बीती 8 जुलाई 2021 को नायब तहसीलदार मीनाक्षी जायसवाल ने सिविल कोर्ट के शासकीय अभिभाषक गाडरवारा से अभिमत लिया। इसके बाद राजस्व निरीक्षक कल्याण सिंह क्षत्रिय के माध्यम से करेली थाने में मुकदमा कायमी के लिए पत्र जारी किया। दोनों पटवारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई, इसके बारे में 7 दिन के भीतर राजस्व विभाग को बताने के निर्देश भी जारी किए गए थे। बावजूद इसके, पटवारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इनका ये है कहना
पटवारियों के खिलाफ एफआईआर के आदेश तो हैं लेकिन उनकी गिरफ्तारी सबूत एकत्र होने पर ही की जा सकती है। तहसील कार्यालय से हमने दस्तावेज मांगे हैं लेकिन वे अब तक नहीं मिले। जैसे ही दस्तावेज पूरे हो जाएंगे, आरोपियों को गिरफ्तार कर लेंगे।
अनिल सिंघई, थाना प्रभारी, करेली। 
हमने करेली थाना पुलिस को आरोपी पटवारियों के खिलाफ सभी सबूत, दस्तावेज उपलब्ध करा दिए हैं। इसके बाद भी पुलिस को लगता है कि दस्तावेज कम हैं, या हमने नहीं दिए तो वे हमें बता दें।
मीनाक्षी जायसवाल, नायब तहसीलदार, सिहोरा वृत्त गाडरवारा।
सभी जरूरी दस्तावेज और पटवारियों के विरुद्ध सबूत करेली पुलिस को कलेक्टर न्यायालय के आदेश पत्र के साथ ही उपलब्ध कराए जा चुके हैं। प्रकरण में एफआईआर के साफ आदेश हैं। पुलिस को और किन दस्तावेजों की जरूरत है, वह बताए। दोनों पटवारियों पर कार्रवाई क्यों रुकी है, इसका हम पता लगाएंगे।
राजेश मरावी, तहसीलदार, गाडरवारा। 
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