जिला उपार्जन समिति की बैठक सम्पन्न

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नरसिंहपुर. जिला उपार्जन समिति की बैठक कलेक्टर रोहित सिंह की अध्यक्षता में गुरूवार को सम्पन्न हुई। बैठक में चना, मसूर एवं सरसों एवं गेहूं उपार्जन की समीक्षा की गई। कलेक्टर ने गेहूं खरीदी की विस्तृत समीक्षा की। कलेक्टर ने जिला प्रबंधक मार्कफेड को 20 सर्वेयर की शासन से मांग करने के लिए निर्देशित किया।

         कलेक्टर ने निर्देशित किया  कि नवीन उपार्जन नीति का वीडियो तैयार कराकर कृषकों के लिए सोशल मीडिया पर उपलब्ध करायें, ताकि अधिकाधिक किसानों को इसकी जानकारी मिल सके। साथ ही वे सुविधानुसार अपनी उपज की बिक्री के लिए अपने स्लाट की बुकिंग कर सकें।

         कलेक्टर ने जिला नापतौल अधिकारी को निर्देशित किया कि वे सभी उपार्जन केन्द्रों के तौल कांटों का तत्काल निरीक्षण सुनिश्चित करें। इनमें किसी भी प्रकार की त्रुटि मिलने पर उसमें सुधार करायें। उन्होंने जिला प्रबंधक वेयरहाउसिंग कार्पोरेशन को निर्देशित किया कि निर्धारित गुणवत्ता के चना एवं मसूर की शतप्रतिशत खरीदी उपार्जन केन्द्रों पर ही करें। गेहूं की खरीदी गोदाम स्तर पर ही अधिकाधिक करें, जिससे शासन को कम से कम परिवहन करवाना पडे़।

         जिला आपूर्ति अधिकारी ने बताया कि जिले में इस वर्ष समर्थन मूल्य पर गेहूं विक्रय के लिए 36915 किसानों ने पंजीयन कराया है, जो गत वर्ष हुए 48580 पंजीयन की तुलना में 11665 कम है। इस वर्ष जिले में 2.50 लाख मी.टन गेहूं खरीदी का लक्ष्य रखा गया है। जिले में समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए 95 खरीदी केन्द्र बनाये गये हैं, जिनमें से 36 गोदाम स्तर पर है।

         उप संचालक कृषि ने बताया कि जिले में समर्थन मूल्य पर चना एवं मसूर खरीदी के लिए 26 खरीदी केन्द्र बनाये हैं। ये सभी केन्द्र गोदाम स्तर पर है। जिले में 21 मार्च से चना, मसूर की खरीदी प्रारंभ हो गई है। अब तक तीन उपार्जन केन्द्रों में 31.50 क्विंटल चना का उपार्जन किया गया है और 5 सर्वेयर जिले को प्राप्त हुए हैं।

         महाप्रबंधक सीसीबी श्री आरसी पटले ने बैठक में बताया कि इस वर्ष गेहूं उपार्जन नीति में शासन द्वारा बदलाव किया गया है। अब किसानों को स्वत: अपने- अपने स्लाट की बुकिंग करना होगा। इसके लिए किसान संबंधित तहसील में सुविधाजनक केन्द्रों में स्लाट बुकिंग कर सकते हैं। अपनी उपज की बिक्री के लिए किसानों को एसएमएस मिलेगा। उसी नियत तिथि में ही कृषक को प्राप्त एसएमएस के आधार पर अपनी उपज को विक्रय करना होगा। एक कृषक को एक ही बार में ही अपनी संपूर्ण उपज का विक्रय करना होगा।

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