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नरसिंहपुर। मानसून सत्र के प्रस्तावित विद्युत सुधार अधिनियम 2021 के विरोध में बिजलीकर्मी लामबंद हो गए हैं। इसे लेकर 15 प्रमुख संगठनों के महागठबंधन मप्र विद्युत अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा द्वारा मुख्यमंत्री के नाम 27 जुलाई को एक ज्ञापन अधीक्षण यंत्री को सौंपा जा रहा है। मप्र विद्युत कर्मचारी संघ फेडरेशन (इंटक) के जिला महासचिव अशोक गुप्ता ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित विद्युत सुधार अधिनियम दरअसल निजीकरण को बढ़ावा देगा। इसलिए इसका लगातार विरोध किया जा रहा है। साथ विद्युत कंपनियों में कार्यरत नियमित, संविदा व आउटसोर्स कर्मचारियों की प्रमुख मांगों के निराकरण के लिए शासन-प्रशासन से लगातार पत्राचार भी किया जा रहा है। बावजूद इसके केंद्र सरकार के आश्वासन के बावजूद मानसून सत्र में उक्त अधिनियम लाना जन भावनाओं के विरुद्ध है। इससे संपूर्ण प्रदेश के विद्युतकर्मी आक्रोशित हैं। श्री गुप्ता ने बताया कि बीती 18 जुलाई को संयुक्त मोर्चे की कोर कमेटी की बैठक में समस्याओं के निराकरण ना होने पर चरणबद्ध आंदोलन का निर्णय लिया गया है। इसी क्रम में 27 जुलाई को मुख्यमंत्री मंत्री के नाम अधीक्षण यंत्री को ज्ञापन सौंपा जा रहा है। ज्ञापन में विद्युत कंपनियों के निजीकरण ना करने समेत संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण, आउटसोर्स कर्मचारियों का कंपनियों में संविलियन, 45 साल से अधिक व कम शिक्षण की योग्यता का हवाला देकर आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरी से ना निकालने, कोरोना से मृत बिजलीकर्मियों को कोरोना योद्धा घोषित कर उनके परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने, बिना शर्त अनुकंपा नियुक्ति देने के अलावा केंद्र के समान महंगाई भत्ता आदि की मांग की जाएगी।