नरसिंहपुर। जबलपुर- इंदौर जिले में फर्जी पत्रकारों पर शिकंजा कसने पुलिस रासुका की करवाई तक कर रही है, लेकिन नरसिंहपुर जिले में इस तरह के मामलों में पुलिस की भूमिका ही कठघरे में है। वह तय नहीं कर पा रही है कि किन मामलों में एफआईआर करें और किनमें निष्पक्ष जांच। इसका नमूना बीते दिवस फिर सामने आया जिसमें कथित पत्रकारिता की आड़ में अवैध वसूली करने का आरोप लगाते हुए जिले के ग्राम डुडवारा में पदस्थ एक दिव्यांग शिक्षक ने पहले मुंगवानी थाना में आवेदन दिया। जिसे पुलिस ने जांच में लिया लेकिन बीते गुरूवार को जिनके खिलाफ शिक्षक ने आरोप लगाए उनकी मौजूदगी में ही थाना में समझौता कराकर आवेदन पर कोई कार्रवाई न करने शिकायतकर्ता से आवेदन ले लिया गया। शिक्षक द्वारा की गई शिकायत का मामला गुरूवार को इंटरनेट मीडिया पर सुर्खियों में रहा। जानकारी के अनुसार बीती 8 दिसंबर को शिक्षक बखतुलाल ठाकुर ने पुलिस को आवेदन देकर कहा था कि बीते 14 नवंबर को एक सफेद रंग की कार से आए पांच लोगों ने खुद को एक चैनल का पत्रकार बताते हुए उस पर कार्रवाई कराने का दबाव बनाया। जबरन वसूली के उद्देश्य से ब्लैकमेल उससे 70 हजार रूपये का चेक ले लिया। उसकी गैर मौजूदगी में स्कूल का वीडियो बनाया। शिक्षक ने पुलिस से आवेदन देकर मामले में कार्रवाई की मांग की थी। मुंगवानी थाना प्रभारी ने बताया कि शिक्षक के आवेदन को जांच में लिया था लेकिन गुरूवार को उन्हाेंने संबंधितो से समझौता होने की बात कहते हुए अपना आवेदन वापस ले लिया और कोई कार्रवाई न चाहने की बात लिखित में दी है। इस मामले में गौर करने वाली बात ये है कि जिस व्यक्ति ने शिकायत की वह अनुसूचित जनजाति का था। कायदे से पुलिस को तत्काल अपराध दर्ज करना था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
वहीं जानकारों के अनुसार यदि शिकायतकर्ता ने मामला वापस लेने का आग्रह किया था तब भी पुलिस को यह जानना जरूरी था कि उसने इतनी गंभीर शिकायत क्यों कि, किस आधार पर आरोपितों पर मीडिया के सामने गंभीर आरोप लगाए। अचानक शिकायत वापस लेने से ब्लैकमेलिंग के मामले में ये बात संदिग्ध हो चली है कि आखिर कौन किसे ब्लैकमेल कर रहा था। सवाल ये भी है कि क्या किसी दबाव में शिक्षक ने अपनी रिपोर्ट उठाई है। यदि नहीं तो फिर गंभीर सवाल ये है कि आखिर शिक्षक ने किसके इशारे पर जातिगत और ब्लैकमेलिंग का मामला बनाकर पांच लोगों के खिलाफ कार्रवाई का आवेदन दिया। मीडिया के जरिये उन्हें बदनाम किया। सभ्रांत लोग झूठे मामले की शिकायत को लेकर शिक्षक को बर्खास्त करने की मांग कर रहे हैं।