यतींद कैनवास पर चित्र नहीं संवेदनाएं उकेरते हैं, जिसमें संघर्ष, प्रतिकार, सम्मान व प्रेम की झलक है

समाज के हर पक्ष को खूबसूरती से उकेरा

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आशीष /नरसिंहपुर/बालाघाट।

कोलाज तकनीक हो या फिर वाटर-आयल कलर यतींद्र महोबे इनके माध्यम से कैनवास पर मानव संवेदनाओं को उकेरते हैं। जिसमें चुनौतियों से संघर्ष, शोषण का प्रतिकार, महिलाओं, सैनिकों का सम्मान और इंसानियत के साथ-साथ प्रकृति प्रेम की झलक देखने को मिलती है। नरसिंहपुर के शासकीय महिला महाविद्यालय में चित्रकला विषय के विभागाध्यक्ष डॉ. यतींद्र महोबे इस दिनों कोरोना जनजागरण पर बनाए अपने चित्रों को लेकर फिर चर्चाओं में हैं।
मूलतः बालाघाट के रहने वाले राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान प्राप्त कर चुके डॉ. यतींद्र महोबे ने खबरलाइव 24 डॉट इन से चर्चा करते हुए ने बताया कि अपने चित्रों के माध्यम से उनकी कोशिश देखने वालों के लिए सकारात्मक ऊर्जा पैदा करने की रहती है। चित्रकारी में उनकी प्रिय तकनीक कोलाज है। जिसमें रंगों के बजाय रंगीन पत्र-पत्रिकाओं की कटिंग के जरिए कैनवास पर मूर्तरूप दिया जाता है। इस तकनीक से डॉ. महोबे अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पुलवामा-उरी अटैक में शहीदों को नमन समेत बेटी-बचाओ पर केंन्द्रित नारी के अद्भुत बल को साकार रूप दे चुके हैं।

शिक्षक पिता ने यतींद्र की भावनाओं का किया सम्मान

बालाघाट के मलाजखंड में 26 जून 1979 में जन्में डॉ. यतीन्द्र महोबे के पिता स्कूल में गणित के शिक्षक थे। यतीन्द्र को बचपन से चित्रकारी का शौक था, जिसे उनके माता-पिता ने खूब प्रोत्साहित किया। उन्हें खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय से चित्रकला का कोर्स करने प्रेरित किया। कक्षा 12वीं के बाद उन्होंने यहां एडमिशन लेकर चित्रकला की हर बारीकि को सीखा। वर्ष 2002 में चित्रकारी में उन्होंने स्नातकोत्तर की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद इनका चयन सहायक प्राध्यापक चित्रकला के लिए हो गया। वर्ष 2004 से ये नरसिंहपुर के महिला महाविद्यालय में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वर्ष 2013 में इन्होंने चित्रकला में पीएचडी की उपाधि भी हासिल की। इनके मार्गदर्शन में विभाग की छात्राएं प्रतिवर्ष जिला व राज्यस्तर पर ललित कला स्पर्धाओं में पहला स्थान प्राप्त करतीं आ रहीं हैं। डॉ. महोबे की ये पृष्ठभूमि उन अभिभावकों के लिए प्रेरक है, जो वर्तमान प्रतिस्पर्धा के दौर में अपने बच्चे की रुचि-अभिरुचि का दमन करते हुए करियर निर्माण में अपनी इच्छाओं को थोपकर उन्हें तनाव-अवसादग्रस्त करते हैं।


सकारात्मक ऊर्जा के चित्र: डॉ. महोबे के चित्रों में सौम्यता, उग्रता, प्रतिकार, सम्मान, जनजागरण, सशक्तीकरण, शिक्षा आदि सभी तरह के रूप देखने को मिलते हैं। ये है कि सभी देखने वाले को सकारात्मक ऊर्जा से भर देते हैं। रंगों का समायोजन ऐसा रहता है कि कोई एक बार इनके चित्रों को देख ले तो वह उसकी आंखों के जरिए मन-मष्तिष्क में स्थाई जगह बना लेता है। 

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