यूरिया की सरकारी दर यूं तो 265 रुपये तय है। रबी सीजन में जिले की खपत को देखते हुए जिले का कृषि विभाग करीब 6 हजार मीट्रिक टन यूरिया होने का दावा कर रहा है। वहीं दावों के विपरीत हालात कुछ अलग ही हैं। सरकारी गोदामों में पहुंच रहे किसानों को या तो यूरिया न होने की बात कही जा रही है, या फिर कम स्टाक का हवाला देकर लंबी कतारें लगाने मजबूर किया जा रहा है। इसका नतीजा ये है कि कृषि कार्यों को समय पर निबटाने के लिए किसान निजी दुकानों की ओर रुख कर रहा है, जहां पर उन्हें 70 से 80 रुपये अधिक देकर यूरिया की बोरी उपलब्ध हो रही है। इस तरह की शिकायतें जिले के कृषि विभाग को लंबे समय से मिल रही है, बावजूद इसके इस ओर उसका ध्यान नहीं है। अधिकारी पूछे जाने पर एक ही रट लगाए हैं कि कोई किसान उनके पास आकर लिखित शिकायत करे तभी वे कार्रवाई करेंगे। इस तरह का नजरिया परोक्ष रूप से निजी विक्रेताओं को मनमानी करने की छूट देने वाला साबित हो रहा है।
ये है हकीकत
किसानों ने बताया कि इन दिनों उन्हें 265 की जगह 330 से 350 रुपये प्रति बैग यूरिया खरीदने पड़ रहे हैं। वहीं 50 किलो की जगह अब मात्र 45 किलो के ही बैग में यूरिया आ रहा है और ऊपर से उसकी कीमत में भी मनमानी वृद्धि कर दी गई है किसानों ने कहा है कि 50 किलो बैग वाला यूरिया का दाम 270 से 300 तक ही हुआ करता था, अब 45 किलो बैग का यूरिया 330 से 350 में मिल रहा है।
उपलब्धता के बावजूद विवशता हावी: 23 दिसंबर को ही जिला जनसंपर्क कार्यालय द्बारा जानकारी दी गई थी की जिले के नरसिंहपुर रैक प्वाइंट पर एनएफएल कंपनी की 1286 मीट्रिक टन यूरिया की रैक बुधवार को प्राप्त हुई है। इसमें से शासन के निर्देशानुसार 70 प्रतिशत यूरिया शासकीय क्षेत्र में और शेष 30 प्रतिशत निजी क्षेत्र को आवंटित हुआ है। शासकीय क्षेत्र में 70 प्रतिशत के मान से लगभग 900 मीट्रिक टन यूरिया (एमपी एग्रो नरसिंहपुर को 45 मीट्रिक टन सहित) एवं निजी क्षेत्र में लगभग 386 मीट्रिक टन यूरिया का वितरण जिले के किसानों को होना था लेकिन अब कालबाजारियों को भी शासकीय पनाह मिलने के आसार दिख रहे हैं। जिससे जिले का अन्नदाता विवश होकर मनमाने दाम पर यूरिया खरीदने मजबूर हैं।
अब तक यूरिया घोटाले में नहीं हुई एफआइआर
वर्तमान में यूरिया की कालाबाजारी का ये नया मामला नहीं है। इसके पहले भी प्रदेश स्तर पर करीब 900 मीट्रिक टन यूरिया की कालाबाजारी का मामला सुर्खियों में रहा था। इस प्रकरण में कलेक्टर वेदप्रकाश ने बीती 26 अगस्त को पांच लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने के निर्देश दिए थे लेकिन हैरत की बात ये है कि चार माह बाद भी सिर्फ एक ही आरोपित के खिलाफ प्रकरण दर्ज हुआ, जिसमें भी उसकी गिरफ्तारी नहीं हुई। इस मामले में जहां पुलिस जिला प्रशासन की ओर से प्रतिवेदन का इंतजार कर रही है तो वहीं जिले का कृषि विभाग इसे तकनीकी त्रुटि बताने पर उतारू है। ऐसे में अब जबकि पुन: कालाबाजारी का दौर शुरू हो गया हो, गोदामों में यूरिया की उपलब्धता को कम बताया जा रहा हो, तो ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि ये हालात मिलीभगत से ही पैदा किए जा रहे हैं।
इनका ये है कहना
अभी 6 हजार टन से अधिक यूरिया उपलब्ध है। किसान सोसायटी से अथवा गोदाम से यूरिया ले सकते हैं। जो निजी विक्रेता किसानों से अधिक दाम ले रहे हैं उनसे बिल लें और उनकी नामजद शिकायत करें उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
राजेश त्रिपाठी, उपसंचालक कृषि नरसिंहपुर